कुछ एक पल में कई बार हम सदियां जी लेते है। अपनी मोहब्बक्त को करीब पाकर हम यूही मुस्कुरा लेते है। यू तो वो रात उसके नाम की थी पर उस रात की कहानी लिखने का हक़ मेरे पास था... मुझे ये तो समझ आ चुका था कि मेरी कहानियों में वो खोने लगी है। वो तलाशने लगी थी खुद को मेरे हर लफ्ज़ में, जैसे उसे समझ आ गया था वो कॉलेज वाली लड़की कोई और नही बल्कि वो खुद है और जिसकी तारीफ में मैं अपनी पहचान तक भूल गया वो तारीफ उसी की है, उस रात वहां से निकलने से जरा पहले ही उसकी और मेरी नजरे टकरायी और ऐसा लगा जैसे पलके एक बार से दूसरी बार झपकने के बीच में जो वक़्त लेती है वो वक़्त वही ठहर सा गया हो, जैसे उस वक़्त आस-पास जो कुछ भी हो रहा था सब थम सा गया था। इतने में किसी ने मुझे आवाज़ दी और मैं जैसे किसी ख्वाब से वापस आया था, अब जैसे तैसे उस पार्टी को खत्म कर के मैं अपने रूम पर पहुचा पर उस कमबख्त रात ने जैसे ना गुजरने का