मुलाकात... यू तो हर कोई हर किसी के लिए अलग ही होता है पर कोई किसी का खास तब ही बनता है जब वो खास बनना चाहता है । ~~~ अब सारी मस्तियों के बीच सर्दियों ने दस्तक दे दी थी और साथ ही सेमेस्टर भी हमारे करीब आ गया था, और तैयारी के नाम पर मैंने सिर्फ प्यार की कविताएं ही लिखी थी। अब जब भी पढ़ने बैठता तो दिमाग के साथ कि गयी थोड़ी जोर-जबरजस्ती काम आ जाती जिससे कुछ देर तो मैं पढ़ लेता पर थोड़ी ही देर बाद उसका चेहरा , उसकी आंखें , उसकी हंसी सब जैसे मेरी किताबो में छप गया हो। अब ये समझ आने लगा था कि क्यों हमे प्यार-मोहब्बक्त से दूर रहने को कहा जाता है। कॉपी पर सवाल लगाते लगाते कब पेन को उस कॉपी पर घुमाने लग जाता था कुछ पता ही नही होता था। तो अब मैंने तय किया था कि ये सब से ध्यान हटाना है । वैसे तो मुझे अकेले पढ़ने की आदत थी , पर अब मैंने दोस्तो के साथ पढ़ना शुरू कर दिया। जैसे-तै