मोहब्बक्त की बात
आज कॉलेज से आने के बाद से ही तबियत कुछ बिगड़ी सी लग रही थी, हाल कुछ ऐसा था जैसे सबकुछ कहि छोड़कर आ गया हूं। मैं पूरी रात ना जाने किन उलझनों में उलझा रहा, मैं एक ऐसे ख्याल में था जिसमे याद करने को ना कोई पहचान थी, ना उसकी मुस्कान नाही उसकी बातें थी... थी तो बस उसकी एक झलक, उस रात की कहानी कुछ ऐसी थी...
अगले कुछ दिन कॉलेज में उसके बारे में जानने में निकल गए। वो कॉलेज हमेशा स्कूटी से आती है, वो लोगो से कम मिलना और कम बाते करना पसंद करती है, उसके कुल मिलाकर 4 6 ही दोस्त थे तो अब मेरी मुश्किलें और बढ़ने वाली थी। यू तो आते जाते मुलाकाते हो ही जाती थी, क्योंकि कई बार ये आंखे टकराती जो थी... पर अभी सबकुछ अधूरा सा था, एकतरफा...
अब कॉलेज में जाते हुए कई दिन बीत चुके थे अब सब्जेक्ट्स का बोझ सिर पर बढ़ता जा रहा था और जैसे जैसे मैं उस चेहरे को और ज्यादा देख रहा था वैसे वैसे मैं उसमे डूबता जा रहा था।
एक तरफ मैथ और मैकेनिक्स के भारी भरकम सवाल हुआ करते थे, तो एकतरफ उसकी आंखें और उसका चेहरा हुआ करता था। मैं दोनों को ही लेकर परेशान था क्योंकि ना किताबे समझ आ रही थी और नाही उसका चेहरा पढा जा रहा था।
अब कॉलेज में फ्रेशर पार्टी की तैयारियां चल रही थी और मेरे कुछ दोस्तों ने हिस्सा लिया तो मैंने भी मन बनाया और कहानी-कविता प्रतियोगिता में भाग ले लिया... मेरे दिमाग मे सिर्फ यही था कि, इस बहाने से कॉलेज में लोग मुझे पहचानने लगेंगे और क्या पता वो भी थोड़ा गौर करे मुझपर। लम्बे अभ्यास के बाद पहली बार मैं कॉलेज में कुछ परफॉर्म करने वाला था, तो धड़कने बढ़ी हुई थी और भीड़ में अच्छा ना बोल पाने का डर भी डरा रहा था, पर दोस्तो के हौसले और भरोसे के साथ अब वो शाम मेरे सामने थी... लेकिन वो शाम मेरे लिए खास तब हुई जब मैंने उसे देखा😍
वो हल्के लाल और गुलाबी रंग की साड़ी पहने हुए थी, आज उसे देखकर बस यही ख्याल आ रहा था कि...
खूबसूरत है वो उसकी आंखें, उसकी हँसी, उसके गालो का तिल, उसके बालो की लटें और उसका वो गेंहुआ रंग जो शाम की ढलती रोशनी में और ज्यादा खिल रहा था... और उसके कानों का वो झुमका तो जैसे मेरी धड़कने बढ़ा रहा था, क्योंकि वो उसके एकदम करीब होकर उसे अपना बता रहा था।
मैंने देखा कि कइयों की नज़र उसकी तरफ खिंची चली जा रही थी और कई तो उसके करीब जाकर उसकी तारीफ तक कर रहे थे, और मैं दूर खड़ा बस यही दुआ कर रहा था कि...
मैं ख्यालो में गुम ही था कि, इतने में हमारी नजरे टकराई और शायद मेरे चेहरे की मुस्कान ने उसे बया कर दिया कि मैं उसी के ख्यालो में हु। इतने में मेरे दोस्त का कॉल आया, उसने कहा जल्दी आजा तेरा स्टेज पर जाने का नंबर आने वाला है। तब मैं किसी तरह अपनी नज़रो को उससे चुराते हुए वहां से आ गया और अपने प्रदर्शन से पहले ही मैंने अपने दोस्तों को आगे रहने को कहा था ताकि मेरा हौसला बना रहे। और मैंने स्टेज पर जाकर गुड इवनिंग बोलते हुए शुरुवात की... मैंने अपने शुरुआती शब्द बहुत सम्भलकर कुछ ऐसे बोले की...
एक लड़की है जिसे मैंने कॉलेज के पहले ही दिन देखा था, जैसे मैंने मेकैनिकल ब्रांच को चुना है शायद वैसे ही उसने मुझे चुना है, जैसे वो चाहती है कि पढ़ाई की किताब के साथ मैं उसके चेहरे की लिखावट को पढू... मैं आपको उसके बारे में कुछ बताता हूं कि वो कैसी है...
वो कुछ ऐसी है कि,
उसकी आँखों को देखू तो डूबने का जी करता है।
उसकी जुल्फों को देखकर उलझने का मन करता है।
गणित के सवालों से भी कठिन रहते है उसके चेहरे के हाव-भाव
जो समझने की कोशिश भी करू तो कहा कोई हल निकलता है।
रूठकर जब मुँह बनाती होगी तो कसम से चेहरे की मासूमियत से ही सामने वाले को मनाती होगी।
यू कभी पलटकर देखती तो नही है वो, पर फिर भी उसके इंतज़ार की ज़िद ना जाने क्यों इन आँखों को रहती है।
उसके चेहरे पर नजरें ऐसे थम जाती है, जैसे मैकेनिक्स के न्यूमेरिकल्स देखते ही उंगली में पकड़ी हुई पेन पन्नो पर ठहर जाती है।
वैसे तो कुछ खास खूबसूरत नही है वो, पर ना जाने क्यों उसके चेहरे की मैट्रोलोजी दिल को धड़का जाती है।
यू तो बाते मुलाकाते रोज़ होती है उससे, पर मुलाकातों का सिलसिला कुछ ऐसा है कि मुलाकाते आंखों से और बाते धड़कनों की होती है...
गर मिल जाये वो कहि किसी को किसी मोड़ पर,
तो कहना उसके इंतज़ार में है कोई बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर पर,
उससे कहना वो तुम्हे अपनी किताबो में छिपाकर रखता है,
वो मैकेनिक्स में तुम्हारे चेहरे और मैथ में तुम्हारी आँखों को पढ़ता है।
बस उससे इतनी सी बात और कह देना,
गर मुमकिन हो तुमसे तो एक बार पलटकर उसकी तरफ मुस्कुरा देना।
इन्ही शब्दो के साथ मैंने सबको धन्यवाद कहा और सबने तालियों से मुझे सराहा और सब चिल्लाकर पूछ रहे थे कि कौन है भाई नाम भी बता दे, कोई चिल्लाकर कह रहा था कि ब्रांच ही बता दे उसका हम मिलवा देंगे... पर मैं चुपचाप सिर्फ मुस्कुराते हुए स्टेज से नीचे आ गया
हालाकि मि. फ्रेशर किसी और को चुना गया था, पर दिल मे जगह सबके मैंने बनाई थी, क्योंकि पूरे कॉलेज में बस मेरी चर्चा थी। सभी की जुबान पर बस एक ही सवाल था कि वो लड़की है कौन?...
Chapter- 3
मुलाकात
पहली मुलाकात के बाद ये ऐसी मुलाकात थी, जिसमे थोड़ी बहुत बातचीत होनी थी। हालांकि मैं मायूस था ये सोचकर कि क्या बाते होंगी, पर जब मैं उससे मिला तो...
कविता अतिसुन्दर है भाई👍👌
ReplyDeleteधन्यवाद... आपकी तारीफ से लगता है कविता लिखने में जो समय मैंने लगाया है.. वो सही है।
DeleteExtraordinary
ReplyDeleteThsnk u so much...
DeleteBest of luck bhai 👍
ReplyDeleteThank u yrr... kahani me aage iski jrurt pdegi
DeleteSuperb
ReplyDeleteThankss
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